Tuesday, December 8, 2009
भावनाओं का अस्तित्व
बेबस बेदम लाचार होती हैं वोह भावनाएं
जिन्हें अभिवियक्ति का आलिंगन नहीं मिलता
घुट घुट कर दम तोड़ देते हैं वोह शब्द
जिनको दिल से जुबान तक का रास्ता नहीं मिलता
ऐसी बेबस बेदम लाचार भावनाओं के उत्पन्न होने का अर्थ ही क्या है?
जो हिर्दय मै हिलोरें मारती रहें फिर भी अपने अस्तित्व का एहसास न दिला सकें
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